कुवैत, एक ऐसा देश जो अपनी समृद्धि और आधुनिकता के लिए जाना जाता है, आजकल एक विवादास्पद फैसले की वजह से सुर्खियों में है। कुवैत सरकार ने हाल ही में हजारों लोगों की नागरिकता रद्द करने का निर्णय लिया है, जिसमें अधिकतर महिलाएं शामिल हैं। इस फैसले ने न केवल उनकी नागरिकता छीनी, बल्कि उनके बैंक खाते बंद कर दिए गए और सरकारी सुविधाओं पर भी रोक लगा दी गई है। इस अप्रत्याशित कदम ने कुवैत में रहने वाली उन महिलाओं के जीवन में उथल-पुथल मचा दी है, जिन्होंने कुवैती पुरुषों से शादी करके इस देश की नागरिकता हासिल की थी। आइए, इस खबर को गहराई से समझते हैं और जानते हैं कि यह फैसला किन कारणों से लिया गया और इसका असर क्या हो रहा है।
कुवैत सरकार का कठोर फैसलाकुवैत सरकार ने हाल ही में एक अभूतपूर्व कदम उठाया है, जिसके तहत उन लोगों की नागरिकता रद्द की जा रही है, जिन्होंने 1987 के बाद विवाह के आधार पर कुवैत की नागरिकता प्राप्त की थी। इस फैसले का सबसे ज्यादा असर उन महिलाओं पर पड़ा है, जो विदेशी मूल की हैं और जिन्होंने कुवैती पुरुषों से शादी की थी। कुवैत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2024 से अब तक 37,000 लोगों की नागरिकता रद्द की जा चुकी है, जिनमें से 26,000 महिलाएं हैं। इस फैसले ने न केवल इन महिलाओं की पहचान पर सवाल उठाए हैं, बल्कि उनके दैनिक जीवन को भी प्रभावित किया है।
एक महिला की आपबीती: जॉर्डन से कुवैत तक का सफरइस संकट की गंभीरता को समझने के लिए एक महिला की कहानी काफी है। कुवैत सिटी में रहने वाली एक महिला, जो मूल रूप से Jordan की रहने वाली है, ने बताया कि जब वह Kuwait City के एक स्टोर में अपने Credit Card से भुगतान करने गई, तो उसे पता चला कि उसका Bank Account फ्रीज कर दिया गया है। वह इस समस्या का हल तलाश ही रही थीं कि एक और चौंकाने वाली खबर मिली—उनकी Kuwaiti Citizenship रद्द कर दी गई थी। यह खबर उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं थी। ऐसी ही अनगिनत कहानियां कुवैत में सामने आ रही हैं, जहां महिलाएं अचानक अपनी पहचान और आर्थिक स्थिरता खो रही हैं।
अमीर का दावा: “केवल असली कुवैती ही रहें”इस नीति के पीछे कुवैत के अमीर Sheikh Meshal Al Ahmad Al Sabah का एक स्पष्ट दृष्टिकोण है। दिसंबर 2023 में अमीर बनने के बाद, Sheikh Meshal ने संसद को भंग कर दिया और संविधान के कुछ हिस्सों में संशोधन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि कुवैत की 50 लाख की आबादी में से केवल एक-तिहाई लोग ही “असली कुवैती” हैं, जिनका इस देश से “खून का रिश्ता” है। उनके इस बयान के बाद से सरकार ने उन लोगों को निशाना बनाना शुरू किया, जिन्हें विवाह या अन्य आधारों पर नागरिकता मिली थी। अमीर का कहना है कि यह कदम कुवैत की पहचान को संरक्षित करने और केवल “मूल कुवैती” नागरिकों को प्राथमिकता देने के लिए उठाया गया है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभावइस फैसले ने न केवल व्यक्तिगत स्तर पर लोगों को प्रभावित किया है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी गहरे सवाल खड़े किए हैं। जिन लोगों की नागरिकता रद्द की गई है, उन्हें सरकारी सुविधाओं, जैसे स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और रोजगार के अवसरों से वंचित किया जा रहा है। बैंक खातों के बंद होने से उनकी आर्थिक स्थिति भी डगमगा गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के फैसले से कुवैत की अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि यह मानवाधिकारों और लैंगिक समानता के सवाल उठाता है।
भविष्य की अनिश्चितताकुवैत सरकार का यह कदम उन महिलाओं के लिए एक बड़ा झटका है, जिन्होंने कुवैत को अपना घर बनाया था। कई महिलाएं अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि उनकी नागरिकता के साथ-साथ उनकी आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा भी खतरे में है। कुछ लोग इस फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने की योजना बना रहे हैं, लेकिन अभी तक सरकार ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में कुवैत सरकार इस संकट को कैसे संभालती है और क्या प्रभावित लोगों को कोई राहत मिल पाएगी।
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