जोधपुर में चल रहे धमाकेदार राष्ट्रीय अधिवेशन ने पत्रकारों के बीच खासी हलचल मचा रखी है। यहां इंडियन फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स के 131वें राष्ट्रीय अधिवेशन में कर्नाटक मीडिया एकेडमी की चेयरपर्सन और दिग्गज पत्रकार आयशा खानम ने उर्दू पत्रकार अजहर उमरी से एक खास मुलाकात की। ये बातें तो ठीक हैं, लेकिन इस मीटिंग में जो चर्चा हुई, वो मीडिया की दुनिया को नई दिशा दे सकती है!
उर्दू पत्रकारिता की चुनौतियां: क्या है असली मसला?इस खास मुलाकात के दौरान आयशा खानम और अजहर उमरी ने मीडिया की भूमिका पर जमकर बातें कीं। खास तौर पर उर्दू पत्रकारिता की उन चुनौतियों पर फोकस रहा, जो आजकल हर तरफ चर्चा का विषय बनी हुई हैं। दोनों ने उर्दू मीडिया के भविष्य को लेकर गहन विचार-विमर्श किया। सोचिए, जब उर्दू जैसी भाषा में खबरें लिखने वाले पत्रकारों को कितनी मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं – डिजिटल दुनिया में जगह बनाना, फंडिंग की तंगी और ऑडियंस को जोड़ना। आयशा खानम ने अपनी बातों से साफ किया कि उर्दू पत्रकारिता न सिर्फ संस्कृति की रखवाली करती है, बल्कि समाज की आवाज भी बनती है। अजहर उमरी ने भी अपनी तरफ से कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जो आने वाले दिनों में उर्दू मीडिया को मजबूत बनाने में मददगार साबित हो सकते हैं। ये बातचीत इतनी गर्मागर्म थी कि लग रहा था जैसे कोई फिल्मी सीन चल रहा हो!
अधिवेशन का जोश: देशभर से पत्रकारों की हुंकारये अधिवेशन सिर्फ एक मीटिंग नहीं, बल्कि पत्रकारों का एक बड़ा मेला बन गया है। देश के कोने-कोने से सैकड़ों वरिष्ठ पत्रकार यहां जुटे हैं। सबने मिलकर पत्रकारिता की नई दिशाओं पर खुलकर बहस की। बातें हुईं कि कैसे पत्रकार लोकतांत्रिक मूल्यों की ढाल बन सकते हैं। आज के दौर में फेक न्यूज, सेंसरशिप और प्रेस फ्रीडम की चुनौतियां तो हैं ही, लेकिन इन सबके बीच पत्रकारों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। अधिवेशन में कई सेशन्स चले, जहां हर कोई अपनी राय रख रहा था। कोई कह रहा था कि डिजिटल टूल्स से पत्रकारिता को नया जोश मिलेगा, तो कोई जोर दे रहा था कि ग्राउंड रिपोर्टिंग को कभी न भूलें। कुल मिलाकर, ये अधिवेशन पत्रकारों के लिए एक नई ऊर्जा का इंजेक्शन साबित हो रहा है। जोधपुर की धरती पर ये सब देखना वाकई दिलचस्प रहा!
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