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150 से ज्यादा पुरुषों से बन चुका है संबंध, अब क्या करूं? प्रेमानंद जी महाराज ने बताया समाधान

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वृंदावन की पवित्र धरती पर प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन के लिए हर दिन सैकड़ों भक्त पहुंचते हैं। लोग अपनी जिंदगी की उलझनों को उनके सामने रखते हैं और समाधान की उम्मीद करते हैं। हाल ही में एक ऐसी घटना हुई, जिसने वहां मौजूद सभी को चौंका दिया। एक युवक ने अपनी परेशानी साझा की और प्रेमानंद जी ने जिस सहजता से उसका समाधान दिया, वह हर किसी के लिए प्रेरणा बन गया। आइए, इस लेख में हम इस घटना और प्रेमानंद जी के गहरे संदेश को समझते हैं।

एक चौंकाने वाली परेशानी

वृंदावन में प्रेमानंद जी महाराज के पास एक युवक अपनी व्यथा लेकर पहुंचा। उसने खुलकर बताया कि वह अब तक 150 से अधिक पुरुषों के साथ संबंध बना चुका है। यह सुनकर वहां मौजूद लोग स्तब्ध रह गए। युवक ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि वह इस आदत से दुखी है और इससे मुक्ति पाना चाहता है। उसकी बातों में पश्चाताप और बदलाव की इच्छा साफ झलक रही थी। यह एक ऐसी समस्या थी, जिसे साझा करना आसान नहीं, लेकिन युवक के साहस और प्रेमानंद जी की सकारात्मक उपस्थिति ने इस पल को और भी खास बना दिया।

प्रेमानंद जी का सरल और गहरा समाधान

प्रेमानंद जी महाराज ने युवक की बात को बड़े ध्यान से सुना और उसे सहज भाव से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यह आदत उसकी अपनी रचना नहीं है, बल्कि यह एक संस्कार है जो उसके दिमाग में जमा हो गया है। उन्होंने समझाया कि यह प्रवृत्ति उसे पसंद नहीं, बल्कि यह एक मानसिक बंधन है। प्रेमानंद जी ने जोर देकर कहा कि इस संस्कार से लड़ना और जीतना जरूरी है, वरना यह उसकी छवि और जिंदगी को नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने प्रेरित करते हुए कहा कि हमारा शरीर संसार की चुनौतियों से जीतने के लिए मिला है, न कि इन बंधनों में उलझकर खत्म होने के लिए।

मानसिक बंधनों से मुक्ति का रास्ता

प्रेमानंद जी ने युवक को आत्म-नियंत्रण और सकारात्मक सोच की राह दिखाई। उन्होंने सुझाव दिया कि वह अपने विचारों को शुद्ध करने के लिए ध्यान, भक्ति, और सेवा में समय लगाए। प्रेमानंद जी का मानना है कि मानसिक बंधनों से छुटकारा पाने के लिए आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिक अनुशासन जरूरी है। उन्होंने युवक को भगवान की भक्ति और नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा दी, ताकि वह अपनी कमजोरियों पर काबू पा सके। यह समाधान न केवल उस युवक के लिए, बल्कि उन सभी लोगों के लिए प्रासंगिक है जो अपनी आदतों से जूझ रहे हैं।

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