देहरादून की खूबसूरत वादियों में शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए दून पुलिस ने एक बार फिर कमर कस ली है। हाल ही में कोतवाली पटेलनगर क्षेत्र में चलाए गए एक विशेष सत्यापन अभियान ने न सिर्फ कानून व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया, बल्कि आम लोगों के बीच भरोसा भी जगाया।
यह अभियान मेहूंवाला माफी, लोहियानगर और ब्रह्मपुरी जैसे इलाकों में चलाया गया, जहां पुलिस ने बाहरी राज्यों से आए किरायेदारों और संदिग्ध व्यक्तियों की गहन जांच की। आइए, इस अभियान की पूरी कहानी को करीब से जानते हैं।
किरायेदारों पर नजर, अपराधियों पर लगाम
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) देहरादून के सख्त निर्देशों के बाद यह अभियान 6 अप्रैल 2025 को शुरू हुआ। उनका मकसद साफ था - अपराध को जड़ से खत्म करना और शहर में कानून का राज कायम रखना। इस दौरान पुलिस ने कुल 483 लोगों का सत्यापन किया।
घर-घर जाकर किरायेदारों के दस्तावेजों की पड़ताल की गई और उनकी पहचान सुनिश्चित की गई। यह कदम इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि कई बार बिना सत्यापन के रहने वाले लोग संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त पाए जाते हैं। पुलिस का यह प्रयास न सिर्फ अपराध रोकने में कारगर है, बल्कि स्थानीय लोगों को सुरक्षित माहौल देने की गारंटी भी देता है।
नियम तोड़ने वालों पर सख्ती, जुर्माने का डंडा
अभियान के दौरान पुलिस ने पाया कि कुछ मकान मालिकों ने अपने किरायेदारों का सत्यापन नहीं करवाया था। ऐसे 87 लोगों पर पुलिस अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई और कुल 8 लाख 70 हजार रुपये का जुर्माना ठोका गया। यह राशि न सिर्फ नियमों की अनदेखी करने वालों के लिए सबक है, बल्कि दूसरों को भी सचेत करती है कि कानून का पालन करना कितना जरूरी है। जिन लोगों पर जुर्माना लगा, उनके चालान माननीय न्यायालय में पेश किए गए, जिससे कार्रवाई की पारदर्शिता भी बनी रही।
संदिग्धों से पूछताछ, सुरक्षा में कोई कोताही नहीं
सत्यापन के दौरान कुछ लोग संदिग्ध नजर आए। पुलिस ने ऐसे व्यक्तियों को तुरंत थाने लाकर उनसे गहन पूछताछ की और उनका भौतिक सत्यापन किया। यह कदम सुनिश्चित करता है कि कोई भी संदिग्ध शख्स शहर की शांति को भंग न कर सके। दून पुलिस की यह मुस्तैदी न सिर्फ अपराधियों के लिए चेतावनी है, बल्कि आम नागरिकों के लिए राहत की सांस भी लेकर आई है।
क्यों जरूरी है ऐसा अभियान?
देहरादून जैसे शहर में, जहां हर साल लाखों लोग घूमने और बसने आते हैं, वहां बाहरी व्यक्तियों की जांच बेहद जरूरी हो जाती है। यह अभियान न सिर्फ अपराधिक घटनाओं को रोकने में मदद करता है, बल्कि मकान मालिकों को भी जिम्मेदार बनाता है। पुलिस का कहना है कि आगे भी ऐसे अभियान चलते रहेंगे, ताकि शहर में हर कोई बिना डर के जी सके।
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